Thursday, May 26, 2016

दो साल, बेरोजगारी की मार

सलीम अख्तर सिद्दीकी
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दो साल पूरे कर लिए हैं। इन दो सालों का जश्न ऐसे मनाया जा रहा है, जैसे वाकई भारत बदल गया है, हर ओर खुशहाली आ गई है, महंगाई दुम दबाकर भाग गई है, हर आदमी के हाथ में रोजगार आ गया है। यह जश्न ऐसे वक्त में मनाया जा रहा है, जब देश के एक दर्जन से ज्यादा राज्य सूखे की चपेट में हैं। वहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। कहते हैं कि जब रोम जल रहा था, तो नीरो बंसी बजा रहा था। ये तो सिर्फ बंसी ही नहीं बजा रहे और ढोल नगाड़े बजा रहे हैं। यह सरकार आत्ममुग्धता की शिकार हो गई है। जमीनी हकीकत से नजरें चुराकर सिर्फ जुमलेबाजी हो रही है। इस सरकार की सबसे बड़ी असफलता रोजगार के मोर्चे पर सामने आई है। यही नरेंद्र मोदी चुनाव से पहले कहते थे कि यदि भाजपा की सरकार आई तो हर आदमी के हाथ में रोजगार होगा। दो करोड़ रोेजगार हर सृजित होंगे। लेकिन हकीकत भयावह है। सर्वों पर यकीन करने वाली सरकार इस सर्वे पर भी यकीन करे कि एक सर्वे में 43 प्रतिशत लोगों ने यह माना है कि मोदी नौकरियों के पर्याप्त अवसर पैदा कर पाने में असफल रही है। अगर सर्वे की भी न मानें तो आम आदमियों के बीच जाकर कोई भी यह जान सकता है कि रोजगार का बुरा हाल है। बात सिर्फ नौकरियों की नहीं है, जिन लोगों के निजी व्यवसाय हैं, वे बेहद मंदी की बात कर रहे हैं। छोटा व्यापारी हो या बड़ा, सबका यही कहना है कि जब से मोदी सरकार आई है व्यापार लगातार नीचे जा रहा है। जहां तक महंगाई की बात है। भले ही आंकड़ों में यह कहा जा रहा हो कि महंगाई पर काबू पा लिया गया है या वह कम हो गई है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। महंगाई अपने चरम पर है। खासतौर से खाने पीने की चीजें आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। आज सुबह एक दिलचस्प वाकया हुआ। मैं अपने दोस्त से मजाक कर रहा था। मैंने उससे कहा, अगली बार भी मोदी सरकार। इतना सुनते ही पास से गुजरता एक शख्स रुक कर बोला। भाई साहब मोदी सरकार सबसे बेकार। हमने पूछा, ऐसा क्यों? उसने जवाब दिया, जब से मोदी सरकार आई है काम धंधों का बुरा हाल है। लेकिन क्या करें, तीन साल तक तो इस सरकार को झेलना ही होगा। यह है इस सरकार की जमीनी हकीकत।

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